मंथन
- Hashtag Kalakar
- Aug 7
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By Shobhit Gupta
स्नेह रहित जलधारा से न करो प्रेम की अपेक्षा
निर्जल धारा से जो भी माँगो, पाओगे सदैव उपेक्षा
तुम प्रेम के सागर और सिंधु में हैं रहस्य अपार
करो आत्ममंथन, बढ़ा लो अपना ज्ञान
मंथन में जो निकले गरल, नीलकंठ का करो ध्यान
विष पश्चात ही कर पाओगे मधुर अमृत पान
अमृत्व से सुसज्जित करो कुछ कार्य महान
चिरंजीवी करो अपनी कीर्ति बढ़ा दो कुल का मान
By Shobhit Gupta

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