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बेटी
Updated: Jan 12
By Priyanka J Pandya
ढलती रही,
बदलती रही,
भाई के जन्म से -वो मुस्कुरा गए...
कभी जोकर बन गई,
कभी होशियार बन गई,
बस एक ही मलाल- बेटा न बन पाई मैं....
हर किस्सा उन्हें हँसाने सोचा,
हर घड़ी उनमें होकर सोचा,
बस हिस्सेदारी में -हिस्सा न बन पाई मैं...
कभी फ़र्ज़ बनकर,
कभी कर्ज़ बनकर,
एक रिश्ता उनका - न बन पाई मैं..
लिबाज बदल लिये,
एहसास बदल लिये,
न उनका बेटा, न बेटी बन पाई मैं...
By Priyanka J Pandya