- hashtagkalakar
बदला
By Harjinder Singh
झुलसते हुए दरख्तों को देख कर मुस्कुराने वालों,
आग में खड़े यह दरख़्त
उन पर रहते सब परिंदे,
जो तुम्हारी लगाई आग में जले
यह सब यूं ही नहीं जल जाएंगे
ये अपना बदला जरूर लेंगे
जिसे तुम आग की आवाज समझ रहे हो वह पेड़ों की ललकार है,
जिसे तुम धुआं समझ रहे हो वह इनकी की विजय पताका है
तुम्हें समझ नहीं आयी होगी
पर उन्होंने बताया है कि वह बदला कैसे लेंगे
उन्होंने बताया कि बेशक वह बदला चाहते हैं
पर वह तुम्हारे जितने निर्मम और निर्दयी नहीं है
इसलिए वह तुम्हें जलाएंगे नहीं
बल्कि वह खुद भी इंकार कर देंगे जलने से
जब तुम्हें जलाने का वक्त आएगा
फिर तुम पड़े रहोगे कि आग की लपटें कब तुम्हें राख करें
पर यह दरख्तों के वंशज अपना बदला नहीं भूलेंगे
इसलिए आग की लपटों को तुम तक पहुंचने ही नहीं दिया जाएगा
फिर तुम्हारे आसपास खड़े लोग घी, चीनी और न जाने क्या-क्या
दरख्तों के इन बेटों को माफी रूपी भेंट देंगे
जिन्हें तुम ने जलाया था एक तरफ खड़े होकर जलने दिया था
तब कहीं जाकर
तुम पर तरस खाकर
यह वृक्ष अंश तुम्हें इजाजत देंगे
राख हो जाने की
याद रखना ये दरख़्त अपना बदला जरूर लेंगे ।।
By Harjinder Singh