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बचपन
By Surabhi
कई ख्वाब अधूरे रह जाते हैं
बचपन बीत जाता है हम बड़े हो जाते हैं
हस्ते मुस्कुराते वो पल लौटा दो
कोई मुझे वो बचपन लौटा दो
वो नाना की लोरी वो नानी की थपकी
पढा़ई के वक़्त जो आती थी वो झपकी
गुजरा हुआ वो मेरा कल लौटा दो
कोई मुझे वो बचपन लौटा दो
वो तितली से खेलना वो पौधों से बोलना
ओ लट्टू घुमाना और मंझा सम्भालना
चैन और सुकून के वो पल लौटा दो
कोई मुझे वो बचपन लौटा दो
वो बारिश के पानी में भिगना
वो कागज़ के नाओ तैराना
खुशियों वाली वो बारिश फिर से बरसा दो
कोई मुझे वो बचपन लौटा दो
वो बचपन ही प्यारा था
जब सारा जहां हमरा था
क्यूं हम भाग रहे, क्या है जो तलाश रहे
इस दिल की मासूमियत फिर लौटा दो
कोई मुझे वो बचपन लौटा दो
न उम्मीदें थी ज्यादा न सपने थे बड़े
चाल यूँ ही फिर से बेख़ौफ़ हो कर जिये
वक्त से बाज़ी लगा कर एक दाव फिर से खेंले
कल की चिन्ता छोड़ हम आज में ही जी ले
By Surabhi