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पापा
By Nimisha Yadav
वो पहली बार मुझे गोद में उठाना, वो चेहरे को अपनी अंजुली में भर लेना, वो आंख से आंसू छलकना, वो खिलखिला कर मेरा हसना। पापा मुझे साइकल चलाना सिखा देना, पकड़े रहना मुझे गिरने मत देना, किताबों से मेरा कमरा भर देना, पैसे शायद कम पड़ गये, ये मुझे कभी पता ना चलने देना।
वो मुझको गणित पढ़ाना, क्योंकि तुम्हारे सिवा मुझे किसी का गणित समझ नहीं आना, डांट डांट कर फिर पुचकारना, प्यार से सबको गले लगाना। चिल्लाओगे और रुलाओगे भी, प्यार से फिर हंसाओगे भी, छोड़ कर मगर जाना नहीं, तुम्हारे बिना शायद जीवन मुमकिन नहीं।
By Nimisha Yadav