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पगली
Updated: 1 day ago
By Dr. Seema Sarkar
पगली के सीने I भी दिल है
पगली फिर भी पराली है।
खाने पीने की कब उसको सुध
सोना और बिछौना क्या
तपती धूप और ओला पानी
चाहे जितना दुखदायी हो,
कहती नहीं किसी से कुछ भी
झेल सभी कुछ लेती है
पगली के सीने में भी दिल है
पगली फिर भी पगली है।
लेकिन जब उसके मुन्ने को
कोई छीन के ले लेना चाहे
झल्ला कर उठती है तब वो,
आग बबूला हो जाती है
ममता स्नेह न जाने क्या- क्या
कहाँ से उसमें आ जाती है,
बात समझने की हैं यारों
पगली के सीने में भी दिल है
पगली फिर भी पगली है।
By Dr. Seema Sarkar