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नारी
By Sanat Raj
दुनिया में लाने वाली मां,
बिना उनके अपना अस्तित्व कहां,
बड़े लाड़ प्यार और मार से रखती बहन,
पर भाई के लिए हर पीड़ा करती सहन,
बन अर्धांगिनी निभाती अपना धर्म,
कष्ट सह भी पूर्ण करती अपना कर्म,
स्त्री के हर रूप में ममता है,
हर दुविधा से लड़ने की क्षमता है,
कभी वो दुर्गा है कभी काली,
कभी वो रूप भोली भाली,
थामे सफलता की कुंजी वो,
बन लक्ष्मी लाभ कराती पूंजी वो,
शब्दो से परे है उनकी महानता,
बलिदान भाव हर मानव है जानता,
अतुल्य ये नारी शक्ति है,
हां ये सत्य है,
एक नारी कुछ भी कर सकती है।
By Sanat Raj