- hashtagkalakar
चोरी
By Vidit Panchal
रेशम के गोले में उलझी
ऊँगलियाँ झटकना बंद कीं
आहिस्ते खोलीं कुछ गठानें
और ढीला रेशम
लपेट लिया कलाई पर।
दोनों गालों के गुम्बद से बांध दिया
थोड़ा सा काटकर, धुनकर
खुली गठानों का रेशम
उसपर गीली तकलीफ़ें
सूखने के लिए टाँग दीं;
लटका दी हर खुशनुमा याद
बींचो-बीच उस डोरी के
आसपास लगा दी नई-पुरानी फ़िकरें
कल के लिबास सारे
धोकर लटका दिए कोनो पर
बची हुई जगह पर
सपने बाँध दिए।
हर बोझ से झुक दिया
रेशम की डोरी को
हमने चुरा ली एक मुस्कान, रेशमी उलझनों से।
By Vidit Panchal