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घुटन
By Devansh Agarwal
एक घुटन सी होने लगी है
शायद जिंदगी कुछ नए मोड़ ले रही है।
हर लम्हा मानो थम सा गया हो
मैं पानी हूं... इस मायूसी की सर्दी में जम सा गया हूं।
अब कुछ करने का मन नहीं करता
बेवजह हर अंग खुद ही से है लड़ता झगड़ता।
रिश्ते भी अब कुछ बदलने लगे है
यह गुलाब है जिसके कांटे अब अंदर तक चुभने लगे है।
आजकल यह सुबह भी खटकने लगी है
रात के अंधेरे की खामोशी दिमाग में कुछ ज्यादा ही भटकने लगी है।
सपने भी अब दूर भागने लगे है
सफलता की सीडी भी अब धीरे धीरे टूटने लगी है।
जिंदगी के पत्ते अब बिखरने लगे है
बादशाह के गुरूर में हम गुलाम से मात खाने लगे है।
By Devansh Agarwal