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गुरु
By Vidhi Maheshwari
जिंदगी में एक मुकाम पाया है..
छोटा ही सही पर नाम कामया है..
हम जैसे कितने सितार चमक रहे हैं दुनिया में..
हम जैसे कितनों को चमका आपने सिखाया है..
और ना जाने कितने पड़ाव पार करने हैं..
और ना जाने कितने सपने सच करने हैं..
खद करेंगे हम सपनों की इमारतें..
बुनियाद जिन्की रखी थी आपने..
आज भी कार्यरत है आप नए व्यक्तित्व घड़ने में..
जो पहचान बनाएंगे अपनी आने वाले कल में..
और ना जाने कितने ही फिर चमकेंगे भविष्य में..
जिन्को तराश रहे हो आप अपने आज में..
By Vidhi Maheshwari