By Srishti Gupta
तुम भी तो डर जाते हो न
सोचकर ये घबराते हो न?
कल जो कभी हम मिले नही
आधा- पौना, तिनका- ओसा
तुम भी तो डर जाते हो न?
कैसे कह दे डरने वाली
ऐसी है कोई बात नही।
ना समझें हालात हमें
और हम , हालात कभी।
सब हो जायेगा ‘सच’ कहकर
समझाना न साथ कभी।
तुम दे देना संग अपना बस
फिर न रह जायेगी कोई खलिश
जो हम मिले तो थे
फिर क्यूं मिले नही !?
By Srishti Gupta
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