- hashtagkalakar
आबरू
By Sachin Madhukar Gote
है रूबरू मेरी आबरू मेरी मेंहमा..
जो खालिस नहीं फकत पानी है।
बह जाए तो रवानी है..
बयां हो जाए तो लम्हें की कहानी है।
एक पल में समेट लेना हर शाख ए गुल ।
कब्र में सिसकती एक आह रूहानी है।
है खुदा तो हर जख्म सलामत है..
मुक्कमल जख्म होना ही मेहरबानी है ।
By Sachin Madhukar Gote