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आँखे
By Suruchi
तेरी इन नशीली आँखों मे खुद को खो दूँ
या इनकी इस ख़ूबसूरती पे जी भरकर रो दूँ
इतनी आँखे देखी हैं मैंने,
इतनी आँखों में घूरा है
माना कुछ आँखों में अच्छाई थी,
पर कुछ आँखों मे सिर्फ बुरा ही बुरा है
पर जब तेरी आँखों में देखा
माना उनमें नहीं कुछ खास था
भूरे रंग के उन दो मधु प्यालों में
मेरा दिल जम के रास था।
जब तेरी आँखों में देखती हूँ
तो सारा संसार दिखाई देता है
आँखे तो रूह का आईना होती है
इसलिए मुझे तेरा प्यार दिखाई देता है
अरे तेरी आँखों में,
वो आसमान है या सागर है
या फिर उमड़कर छलकता हुआ
शराब का गागर है।
तेरी आँखों में वो
चाँद है या फिर सितारे हैं
या मुझे ही नहीं नज़र आया
कि वो तो खूबसूरत नज़ारे हैं।
तेरी आँखों में वो आग का दरिया है
या फूलों की बहार है
अरे वो तो इनमें से कोई नहीं
जो तेरी आँखों ने मुझे लुटा, वो तो मेरी वो हार है
तेरी आँखों में मैं तैरकर पार हो जाऊँगी
या उड़ने के लिए पंख चाहिए
बस मुझे अपनी आँखों मे बसा ले
बता तुझे रिश्वत में रूप चाहिए या रंग चाहिए
तेरी आँखों का अंधेरा
क्यों ये बोल रहा कि तू खफा है
अब समझ आया कि तेरी आँखों मे रहने की कीमत
ना रंग ना रूप है, पर वो वफा है
मेरी वफ़ाएँ भी ले ले, सारी दुआएं भी ले ले
बस उन 2 मधु प्यालों से मुझे पीने दे
मेरा कर्म और ईमान कुर्बान है तुझपे
अगर तू मुझे अपनी आँखों मे जीने दे।
By Suruchi