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अतीत
By Yashaswi Agrima
दूरियों ने जीना सिखा दिया
छाँव में चलना सिखा दिया,
चुप रहना उस दिन तुम्हारा
मुझे खुद से बातें करना सिखा गया|
यादों से दूर रहने को तुम्हारी
खुद का सहर बनाया,
जहाँ चाँद को नही
सिर्फ सितारों को सजाया|
समेटने में वक्त जरूर लगा
उन यादों को खुद से दूर रखा|
आज मगर ये
रास्ते में फिर उस अतीत से टकरा गया
जिसे पीछे छोर कर भी कभी आगे ना बढ़ पाया,
फिर उन हालातों से हार गया
जिससे कभी जीत ही ना पाया था|
गलती तुम्हारी नहीं
जो आज फिर जिंदगी के वो पन्ने खुले
जो कभी बंद ही नही थे|
By Yashaswi Agrima