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ಒಮ್ಮೆಲೇ ಒಂದು ಚಂದಿರನು ಬೆರಗಾದ

By Yashu Nayak


ನಿನ್ನಂದ ನೋಡಿದಾಗ

ಹುಣ್ಣಿಮೆ ಗಾಗಿ ಕಾಯುತ್ತೀಹನು

ಪೂರ್ಣಚಂದ್ರ ನಾಗಿ ಬಂದು

ನಿನ್ನ ಕದ್ದೊಯ್ಯಲು

ಕಾಯುತ್ತಿರುವೆ ನಾ ಇಲ್ಲಿ

ನಿನ್ನ ಸಮ್ಮತಿಗೆ

ಒಪ್ಪಿಗೆ ನೀಡುವೆಯಾ

ಬಚ್ಚಿಡುವೆ ಮನದಲ್ಲಿ

ಬೆಚ್ಚನೆಯಪ್ರೀತಿಯಲ್ಲಿ

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