By Harshil Goel
४ फूल थे
१ मकान था
२ मुट्ठी भर रेत थी
बस एक मलाल था
कदम भी तेज़ थे
चलना महान था
१० उँगली मेरी
१०० का मुझपे दबाव था
१ चप्पल भी मेरी टूट गई
मंदिर का साथ था
३ गलती भी मेरी माफ़ थी
८ साल का जब मैं नादान था
५ पसंद आई चप्पलें
२ को चोरी करना आसान था
जो १ उठाके चल पड़ा
१ उसका ही मालिक भगवान था।
By Harshil Goel
✨✨✨✨