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। चित्रफलक ।

By Kavita Batra


चित्रफलक पर उतार सके ,

ऐसी मनचाही तस्वीर वो रोज़ खींचती हे ,

चाहती हे कि मनपसंद रंग हो ,

एक पल के लिए ही सही मर्जी का सुकून हो ,

अपना मनचाहा आशियां बनाने को |



मुस्कराती हे बहुत अपनी उलझनों को छुपाने को ।

उडान भरती हे रोज़,

जो दायरे हें उन्हे निभाने को ,

रोज के कशमकश से गुजरती है ,

अपना मनचाहा आशियां बनाने को ।


चित्रफलक पर उतार सके ,

ऐसी मनचाही तस्वीर वो रोज़ खींचती हे ,

जिस में मनचाहा रंग हो, सुकून हो , और यह सब फलसफे से गुज़रती हे ,

सिर्फ एक अपना मनचाहा आशियां बनाने को ।


By Kavita Batra



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