By Vaibhav Joshi
सपनों से कहीं दूर एक जगह जहाँ असलियत बयां होती है,
इंसान पाता है अपने को अकेला जब पर्दा गिरता है..
टूटना तिलस्म दुनिया का और उसका इस फर्क से रूबरू होना
ये दुनिया सिमट गयी है सिर्फ उसको बनाके खिलौना.
अब समझ में आयी है सच्चाई और इस जादू की हकीकत
आगे तभी होगा जिंदगी का चलना जब करेगा मेहनत,
मेहनत और सच्चाई ही उसको देगी हौसला.
लड़ेगा वक्त से झूठे वादों से और हो जायेगा अकेला..
By Vaibhav Joshi
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