By Bushra Benazir मै हर रोज़ अपने सॉफ्ट बोर्ड पर तेरी यादें और अपने ग़म पिन अप कर लेती हूँ फिर न यादें उड़ती है और न ही ग़म
इधर उधर भटकता है
मौजूदा हालात मुझे अनमना कर जाते हैं ज़हन को खरोचते रहते है और मेरे जज़्बात मचलते रहते है सोचती हूँ एक दिन इनको भी सॉफ्ट बोर्ड पर पिनअप कर दूँ फिर शायद ज़हन-ओ-दिल को आराम आ जाये मगर ऐसा होगा नही वो सॉफ्ट बोर्ड की पिन की तरह हर लम्हा चुभते रहेगे
By Bushra Benazir
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