स्वयं सार
- hashtagkalakar
- Dec 25, 2023
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By Adyasha Pradhan
अक्षम नहीं, सक्षमता की कृति भी नहीं;
कर्मबद्ध अनुरासित हूं।
अकर्मण्य नहीं, कर्म क्षमता में अति निपुण भी नहीं;
कुछ शब्द अंग की हथियारी हूं।
अशिष्ट नहीं, बरबस नियमों की पालिका भी नहीं;
मुक्त हूं लोक-भाषी से।
अशिक्षित नहीं, ग्रंथ की कोई धर–गुणी भी नहीं;
कलम की धार पहचानती हूं।
अहंकार नहीं, सरलता की पूंजीपति भी नहीं;
स्वयं के अहम की रक्षित हूं।
अकुशल नहीं,कुशलता की अग्रगामी भी नहीं;
संतुष्ट हूं अपने व्यक्तित्व से।
अधम नहीं, पूर्ण स्वराज भी नहीं ;
अधिकार–हरण के नियति को जानती हूं।
अर्थहीन नहीं, त्रिशूलधारी देवी भी नहीं;
प्रिय, जो भी हूं , स्वयं–सार हूं।
By Adyasha Pradhan