By Mayank Singh
आईने में दिखता वो अक्स क्या है?
देखता है जो वो शख़्स क्या है?
अस्ल ग़र है ये, तो वो क्या है?
सच है फ़क़त एक, तो दो क्या है?
इल्म- ए जिस्म कब रहता है नींदों में कभी
फ़िर ये सो जाने की आरज़ू क्या है
फ़ुर्कत - ए- जिस्म ही है ग़र मुतमइन होने का सबब
फ़िर जिस्म में रखी आबरू क्या है।।
जिस्म-ओ- ज़हन के आगे और भी हैं पहलू
हर उस आयाम की हक़ीक़त क्या है
मेरी रज़ा है, मेरा इंतेखाब है
फ़िर ये वुजूहात- ए अक़ीदत क्या है।।
By Mayank Singh
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