By Vandana Pathak
चलो कोने में रखे उस संदूक को खंगाले,
सुकून के कुछ पल निकालें…
कुछ धूप के पल कुछ छॉंव के पल,
एक पल में ज़िंदगी जी लेने के पल।
साथ है इनका, राज़ है ज़िंदगी का,
साथ छूटा तो फसाना है ज़माने का ।
वो पल जो किससे कहानी कह गए ,
गुज़रे ज़माने की बेपरवाह रवानी कह गए ।
हर पल ने सुनाई एक नज़्म नई,
नई तरन्नुम में तराने नए।
वो पल जो हर बंधन से आज़ाद है,
जिसे पाने की चाहत में हर रूह बेताब है ।
वो पल जो हंसी और कहकहों से आबाद है,
जिसमें ना कोई डर है ना ऑंसुओं का सैलाब है ।
वो पल जो सिर्फ़ मेरा है, तुम्हारा है,
जो लगता हमें जान से प्यारा है ।
चलो बचपन की मासूमियत से भरे वो पल निकालें,
जिसके फिर से जीने की ख्वाहिश में गुज़रे ज़माने ।
By Vandana Pathak
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