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शुक्रिया तेरा

By Sonal Lodha


मौक़ा मिला है आज

तो करने दे मुझे शुक्रिया तेरा !


उगते सूरज से शुरू हो , हर रोज़ नयी एक ज़िंदगी मेरी

बढ़ते हर कदम पर साँसो पर करे जो पैरवीं मेरी

ढलती शाम फिर जब नये सवेरें नयी उम्मीद इंतज़ार करे मेरा

तो करने दे मुझे शुक्रिया तेरा !


अपनों के जहां साथ होने से

लगे मुझे मेरा संसार पूरा

जो ना होता कुछ, तो कहा बन पता कोई वज़ूद मेरा

कौन देता मुझे नाम, कहाँ बन पाती अपनी कोई पहचान

बेजान होता सब , रह जाता सब अधूरा , इसलिए तो

करने दे मुझे शुक्रिया तेरा !


बने बहुत रिश्ते मेरे

कुछ वो जो जन्म से है, और कुछ वो जो मैंने ख़ुद चुने

हर रिश्ते ने अपने किरदार निभाये

जीतने मिले सबने जीने के कुछ नुस्के तो कुछ ने सबक़ सिखाये

कहे ख़ुद को इंसान , निकले सारे धातु - कोई बना सोना तो कोई धतूरा , कोई निकला ताँबा तो कोई हीरा

इसलिए तो

करने दे मुझे शुक्रिया तेरा !



बहते वो सफ़ेद झरने हो , या बर्फ से ढके ऊँचे पहाड़

निहार सकु सुंदरता जिसकी , तो करने दे मुझे शुक्रिया तेरा

महसूस कर पाऊ ख़ुद के , या समझ पाऊ अपनों के जज्बातों को , तो करने दे मुझे शुक्रिया तेरा

चलके तेरे दर पर दीदार अपना करने आ सकु , तो बढ़ते उन कदमों को करने दे मूजे शुक्रिया तेरा

करोड़ो सवालो को भूचालो को जहां सम्भाल सकु , तो करने दे मूजे शुक्रिया तेरा

बोलकर अपने मन की बात , बयान कर सकु जिस जुबान से , तो करने दे मुझे शुक्रिया तेरा

चहचहती उस चिड़िया की चू -चू को हर सुबह जब सुन सकु , तो करने दे मुझे शुक्रिया तेरा

आज लिखकर अपने हाथों से भावनाओ को जो में लोगो तक पहुँचा सकु , तो करने दे मूजे शुक्रिया तेरा !


तेरी ही रचाई इस दुनिया को जिन अल्फ़ाजो में भी ज़ाहिर करूँ वो कम ही होगा

सालों जहां जीने का हम सोचते थे , आज कुछ शानो की सास का बचा है खेला

छोड़ दुनिया के झमेलों को , क्या तेरा क्या मेरा

चल एक मुसाफ़िर की तरह, कर नई मंज़िल की तलाश

जहाँ मिले मूझें अपनो से लोग, लगा लेना अपना नया मेला !


इस रास्ते में कही रह ना जाऊ में अकेला

तू है मेरे साथ यह प्रबल है विश्वास मेररा

तभी हर सुबह की नयी सास सें करती हूँ , शुक्रिया तेरा

शूरिया तेरा

शुक्रिया तेरा ॥


By Sonal Lodha






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