वो जम्पर
- hashtagkalakar
- Jul 17, 2023
- 1 min read
Updated: Apr 10, 2024
By Bushra Benazir
तुम एक दिन आये थे
सय्यारो के उस पार से
हाथों मे तुम्हारे कुछ चाँद के टुकड़े थे
मेरी झोली मे डालकर तुमने कहा था
सौग़ात के तौर पर ले आया हूँ तुम्हारे लिये
"तुम्हे चाँद बहुत पसंद है ना इसलिये
इसकी चूड़ियाँ बनवाकर पहन लेना"
मै चुप सी टकटकी बाँधे तुम्हे देख रही थी
तब ज़हन में बार बार एक ही बात चल रही थी
कौन है ये मै तो इसको जानती भी नही
इसे कैसे ख़बर की मुझे चाँद बहुत पसंद है बतौर सौग़ात उसके चंद टुकड़े ले आया मै पसोपेश मे ही थी कि तुमने मेरे हाथ थाम लिये अपनी नज़रों को मेरी आँखों के पटो के पार कर लिया तुम्हारे हाथों की गर्मी मेरे हाथों को ठंडा कर रही थी एक चट्टान पर तुमने मुझे बैठा दिया था फिर तुम अपनी दुनिया की बातें मुझसे करने लगे मेरी भी दिलचस्पी बढ़ने लगी और ग़ौर से तुम्हे सुनने लगी कुछ वक़्त गुज़रा था तुम्हारे साथ तुम मुझे अपने से लगे मैने भी कुछ बोलना चाहा मगर तुम्हारी अंगुलियो ने मेरे लबों को खामोश कर दिया मै नही जानती क्यो उसके चंद लम्हों बाद मेरी आँख खुल गई रात की कालोच अभी बाक़ी थी मैने उठकर चारों और नज़रें घुमाई कमरे में मेरे सिवा कोई नही था मगर मेरे दामन से हल्की रोशनी चटख रही थी जिसमे तुमने चाँद के टुकड़े डाले थे ख़्वाब था शायद फिर भी आज तक मैने वो जम्पर नही धोया
By Bushra Benazir