By Dr Mayuri P Gurjar
तेरी ऑंखोंसे छिपकर तुजसे पलटकर रोया होगा,
हाँ,इसीलिए शायद वो तुजसे लिपटकर रोया होगा।
वो बर्दाश्त नहीं है अब तुजे, ये जानकर,
वो खामखां यूँ ही तुजसे झगडकर रोया होगा।
तेरे सारे खत उस रात जला तो डाले उसने,
पर उस आगमें वो खुद भी जलकर रोया होगा।
तेरा हाथ जो अब किसी ओर के हाथ में है,
जुदाई के वक्त वोही हाथ वो पकडकर रोया होगा।
इश्के हकीकी से इश्के मजाजी बनने चला था,
खुदा तेरा ये इश्क दरबदर भटककर रोया होगा।
लौटकर आया तो आज वो अकेले में रोया नहीं,
लगता है महफिलमें वो हंस-हंसकर रोया होगा।
By Dr Mayuri P Gurjar
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