रेत के घर
- hashtagkalakar
- Dec 25, 2023
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By Hemalatha Swaminathan
सागर किनारे बैठे,
खेल खेल में लगे,
रेत के घर बनाने!
घर क्या बना, उसमें बसाने लगे लोग,
और बुनने लगे सपने!
यह न सोचा के रेत के घर में सजते हैं रेत के सपने,
यह टूटे तो आवाज़ नहीं आती,
बस फिसल जाता है कुछ , हाथो से
रह जाता है यह छुबन
के कभी सागर किनारे
रेत के घर बनाये थे ,
जिन में भुने थे रेत के सपने !
By Hemalatha Swaminathan
Very poignant and touching.
So succinct and visual! As powerful as a haiku, reflecting life in the natural nuances we are surrounded with.