By Anuradhika Maravi
मेरी ख्वाहिशों को बगैर जाने तुम दफना कैसे सकते हो
मैं लड़का हूँ या लड़की ये कहकर तुम मेरी काबिलियत बता कैसे सकते हो
मेरे चरित्र पर उंगली उठाकर तुम जताना क्या चाहते हो
खुद को चार दीवारी में बंद कर लूँ या जीना छोड़ दूँ
आज बता ही दो तुम क्या चाहते हो
मेरी एक छोटी-सी चूक में हजारों बार कोशते हो
मेरे घरवालों से ज्यादा तो मुझ पर तुम ध्यान देते हो
फिर मेरे मम्मी-पापा की परवरिश में क्यों खामियाँ खोजते हो
चलो आज बता ही दो तुम क्या चाहते हो
मेरे सपनो से तुम क्यों इतना जलते हो
मेरी आँखों में पट्टी बाँधकर तुम मुझे दुनिया दिखाना चाहते हो
मेरे अपने बनकर तुम मुझे अपनों के खिलाफ भड़काना चाहते हो
उड़ते परिंदो को दिखाकर उन्हें लड़कों का ख्वाब बताना चाहते हो
अरे तुम तो लड़की हो कहकर तुम मुझे घर में बैठाना चाहते हो
चलो आज बता ही दो तुम क्या चाहते हो
मेरे सपनों से तुम क्यों इतना जलते हो
आज बता ही दो तुम क्या चाहते हो
मेरे कामयाब होने से तुम क्यों इतना डरते हो
माना पहले थोड़ी डरी सी थी सहमी भी थी मैं
तुम्हारे तानों से निराश हो उम्मीद अपनी खोयी भी थी
पर अब न झुकने वाली हूँ
मैं लड़की हूँ मैं सागर को पार करने वाली हूँ
ठान लिया है मैंने अब जिद पर अड़ने वाली हूँ
आज इस कलम को उठाकर मैं खुद की किस्मत लिखने वाली हूँ
मैं लड़की हूँ मैं दुर्गम को पार कर हिमालय पर चढ़ने वाली हूँ
माना लड़खड़ाकर गिरूँगी भी मुश्किलों से लड़ूँगी भी
पर अब न रुकने वाली हूँ
काटोगे जो पैर मेरे मैं पंख लगा उड़ने वाली हूँ
रोक सको तो रोक लो मैं अब न डरने वाली हूँ
हर कामयाबी को हासिल कर तुम्हारी आँखों में गड़ने वाली हूँ
अरे मैं लड़की हूँ मैं अँगारो पे तपने वाली हूँ
तुम क्या रोकोगे मुझे मैं अब और न सहने वाली हूँ
अपने हर सपने को पूरा कर आकाश को छूने वाली हूँ
आज मैं तुम्हे लड़का और लड़की की काबिलियत में फर्क बताने वाली हूँ
अरे मैं लड़की हूँ मैं बिन राजा किसी राजा की शेरनी बेटी बन अकेले जंगल में राज करने वाली हूँ!!!
By Anuradhika Maravi
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