By Adyasha Pradhan
मैं एक नारी हूँ।
ज्ञान स्रोत सरी मेरे कुंभ से ,
अपूर्ण शास्त्र की विधात्री सरस्वती हूँ ;
हाँ, मैं एक नारी हूँ ।
संकल्पित सम्पुर्ण धारा , प्रवाह, चल, प्रकम क्रमिक प्रसार समेटे ,
कलाकृत धर के सूस्थल भूमि वसुन्धरा हूँ ;
हाँ, मैं एक नारी हूँ ।
लक्ष्य धारी स्वर्ण रूपी सम्पन्न ग्रह सर मेरे आगम से ,
आत्म ज्ञान और प्रभा सारे काल पद्मावती महालक्ष्मी हूँ ;
हाँ, मैं एक नारी हूँ ।
लय नयन भर हस्थ सवारूँ जीवन पथ पुत्र के ,
मैं ममता की असीमित सागर महानारी जननी पार्वती हूँ ;
हाँ, मैं एक नारी हूँ ।
अहंकार क्षेत्र कोई लाँघे ,
अपकर्म कर्मों की काली संहारी हूँ ;
हाँ, मैं एक नारी हूँ ।
ब्राह्मण रचाऊं , प्रकरु , ध्वस्त करू ,
मैं देवों की देवयानी अदिति हूँ ;
हाँ, मैं एक नारी हूँ ।
हर भाव को समेटे आत्मन् नारी ,
नारी से उत्पन्न हुई नारी ;
हाँ, मैं एक नारी हूँ ।
By Adyasha Pradhan
🌸🤍
Superb 👏
Very good 👍
Sundar likha👏
👏👏keep writing