By Deepak Mananda
मिले कहाँ थे, खिले कहाँ थे, तीर नैन से चले कहाँ थे,
हुआ ये दिल नादान था घायल, ख्वाब नैन में पले कहाँ थे।
अनजाना एहसास भरा सा, तेरे नैनों में झीलें थीं,
नशा गुलाबी भरा रुप में, मेरे नैन तब टले कहाँ थे।।
आह भरी थी मैंने खूब, घायल दिल ने था प्रण ले लिया,
मैंने तो बस प्यार कहा था, तुमने तो सर्वस्व दे दिया।
तुम्हें पाना आसान न है, पर प्यारा घर दिल ने बनाया,
दूर भले रहती हो तुम, पर दिल ने पाया तेरा साया।
बसी मेरे नैनों में तुम ही, प्यास मेरी तुम आह मेरी,
रानी हो मेरे ख्वाबों की, पर राजकुमारी बन तरसाया।।
फूल कली सी महक दमक, अधूरे मन को आश दे दिया,
मैंने तो बस प्यार कहा था, तुमने तो सर्वस्व दे दिया।
छाया जादू मदहोशी का, आलम दिलकश हो भाया है,
जब तुम आई पास हमारे, मिलन गीत दिल गाया है।
पास हो बैठी, कुछ सूझे ना, ना बोलूँ बस नैन कहें,
हुई बारिश स्पर्शों की,ख्वाब हकीकत बन आया है।।
एक झलक को तड़पा था, प्यासे को तुमने नदी दे दिया,
मैंने तो बस प्यार कहा था, तुमने तो सर्वस्व दे दिया।
तालाब किनारे बैठी थी, पानी ने ली परछाईं थी,
पत्थर मारा बन गया तरंग, छवि उसे तेरी भायी थी।
ना छोड़ा,ना तोड़ा मोड़ा,अक्स तेरा पहले वाला ही,
तुम्हें बनाया , मानो पाया, उसने ली अंगड़ाई थी।।
सुगंध पवन ने तेरा लिया, प्रकृति बन सब दान दे दिया,
मैंने तो बस प्यार कहा था, तुमने तो सर्वस्व दे दिया।
मैंने कहा नदी के तीरे, तुम समुद्र की लहर हो गई,
छाया में उपवन की बोला, जुल्फ तुम्हारी घनी छा गईं।
मैं बोला कि हवा बही, मस्त बयार तुम उड़ी चली,
कहा मैंने पेड़ों के झूले, बाँहें तुम्हारी डाल हो गईं।।
मैंने एक जगह मांगी, तुमने पूरा आकाश दे दिया,
मैंने तो बस प्यार कहा था, तुमने तो सर्वस्व दे दिया।
एक बूंद का प्यासा मैं, तुमने प्याला भर मधु दे दिया,
एक कसक की चाह मुझे, चाहत का पूरा महल दे दिया।
मैं भीगा तेरी चाहत में, धड़कन की तेरी आहट में,
प्रेम पुजारी को हृदय में मंदिर का स्थान दे दिया।।
एक भिखारी भोले मन को, हीरे की सब खान दे दिया,
मैंने तो बस प्यार कहा था, तुमने तो सर्वस्व दे दिया।
By Deepak Mananda
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