By Shriram Bharti
मुहब्बत, इबादत के इशारे बहुत देखे
मैंने तेरा हो कर नज़ारे बहुत देखे
अब तू भी आ कर देख ले मुझ को
तेरी आंखों मैंने सितारे बहुत देखे
अकेला खड़ा हूं फकत तेरे इंतज़ार में
एक दरिया पर मैंने किनारे बहुत देखे
इश्क़ में हार जाना ही इश्क है
इश्क में हारे हुए बिचारे बहुत देखे
सोहबत मुनासिब था नहीं मगर
तुझे चाहने वाले दुलारे बहुत देखे
By Shriram Bharti
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