By Deepak Mananda
तीर हुआ दिल आर-पार, रोने के बजाए झूमा है,
दर्द हुआ मीठा-मीठा सा, गले लगा खुद चूमा है।
इक रेशम की डोर पकड़, गहराई अतल में कूदा है,
एहसास भरा मस्ती में मानो, मस्त-मस्त हो घूमा है।।
साया जन्नत का मानो पाया, उसी का हो गुम सा गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
हुआ दिल एक गुलाबी शीशा, नजर प्यार इक आता है,
धड़कन कहती वह सुबह है मेरी, असर चुपके हो जाता है।
रौशन ये जहाँ लगता प्यारा, सज गई है जश्न की महफिल एक,
इकरार अभी बस बाकी है, दिल में गुदगुदी सा हो जाता है।।
जिएँ हम तुमको किस कदर, दिल पागल सा हो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है
आवारा धड़कन बढ़ गई है, साँसों की गति थम सी गई है,
महसूस करे दिल कुछ आहट, दिल में बेचैनी बढ़ गई है।
जान बसी दिल में मेरी अब, पल,पल इश्क को तरसी है,
जुनून आशिकी का छाया, जमीं जन्नत बन सी गई है।।
बन गई साँस वो ही मेरी, आलम हसीन सा हो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
मुकम्मल हुआ ये दिल ऐसा, कि इश्क का रोग लगाया है,
याद करे बीती बतियाँ , चाहत के ख्वाब सजाया है।
करे इबादत हरदम उसकी, करे मुहब्बत बाँहों में,
बहा चले लहरों में रब्बा, किस्मत उसे बनाया है।।
बहा-बहा कभी डूब भी जाए, दीवाना बन खो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
हुई बन्दगी, बनी जिन्दगी, मेरा रिश्ता जुड़ गया है,
पहचान बनी, अरमान सजा, तकदीर का रुख अब मुड़ गया है।
सजदा मेरे अपने रब को, मेरी मन्नत, मेरी जन्नत,
बरस पड़े खुशियों की दौलत, रंग फिजा में घुल गया है।।
मानो मंजिल पर आ पहुंचा, सारे गम को वो धो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
बेताब है आलम तनहाई में, दिल ढूंढा करता है,
खता भी क्या इसकी ना जानूँ, प्यार उसे करता है।
जिद मीठी बर्बादी का, लत सदा इसे आवारगी का,
राजी है कि सब आजी हो, आशिक बन तड़पा करता है।।
मदहोश रहे, बेहोश रहे, देकर दुहाई दिल रो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
बदल गई मेरी जिन्दगानी, बनी दीवानी कहानी है,
शमा दिलकश झिलमिल हो छाया, रुत ये अजब सुहानी है।
बरकत बरसी रिमझिम प्यारी, जुल्फों ने रात घनी कर दी,
बरसा बहार, बरसा सितार, जबसे आई दीवानी है।।
ख्वाब न हो, मानो ये हकीकत, दिल डूबा सा खो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
हाथ कभी अपने देखूँ, तो कभी लकीर दिखवाता हूं,
उसका चेहरा मैं कभी पढ़ूँ , कभी अपना पढ़वाता हूं।
बेहाल ये दिल बेचैनी में, कटते नही कभी रतियाँ हैं,
सब्र करो कह धीरज देता, मुश्किल से समझाता हूं।।
पर टाले न टले ये दिल, प्राणी अजीब सा हो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
दिन भर अब मैं सोच में डूबा, ख्वाबों की झालर हूँ बुनता,
ध्यान न दूँ बाहर की बातें, गीत धड़क दिल की हूँ सुनता।
हौले से दिल बोला है, मानो तसवीर को खोला एक,
दीदार करे अँखियाँ प्यासी, मैं राह उसी की हूँ चुनता।।
रहनुमा वही ये रट मारे, दिल में नशा सा हो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
सुलझी मेरी जिन्दगी यहां, जीने का सहारा मिल गया है,
मंजिल दिख गई, एक प्यार मिला, इक फूल भी प्यारा खिल गया है।
मुझमें आकर वो बस गई है, मानो चूमा उसने मेरा दिल,
ख्वाहिश पूरी, ख्वाब हकीकत, बन झिलमिल सा सिल गया है।।
महका गुलाब, महकी दुनिया, सब कुछ अच्छा सा हो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
आ जाओ प्रिये, छा जाओ प्रिये, इस दिल ने तुम्हें पुकारा है,
गीत मिलन का गाओ प्रिये, लय-राग-धुनो को सँवारा है।
कायनात भी देखेगी यह लम्हा, याद रखेगी सदियों तक,
मुझे भी तुम पा जाओ प्रिये, और तू ठहरा बस हमारा है।।
प्यार के संगम में डूबा, जीव मुक्त सा हो गया है,
मुझपे जादू सा हो गया है।
By Deepak Mananda
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