By Awish Aggarwal
मंज़िल चुनते है कैसे जानना हु मैं ये चाहता
मगर ये बताने वाला है कहां
पता लगाकर अपनी मंजिल को छूना हु मैं चाहता
मगर ये मंज़िल है कहां
जिधर पहुच कर आसमान की उचाइयो को छू लू मंज़िल है वहां
जिसे छू कर जिंदगी मे सुकून आजाए
जाना है उधर ऐसी मंज़िल है जहां
मंज़िले होती तो बहुत है मगर चुनना है किसी एक को
समय लो अपना गलती मत करना तुम बस
अच्छी तो सारी लगेगी मगर ध्यान से देखना है किसी एक को
मौका बार बार मिलता है नही तो अपने लिए चयन सबसे सही का करना तुम बस
घबराओ ना तुम कभी भी इसमें
काम मुश्किल जरूर है मगर नामुमकिन नही
गलत कोई मंज़िल नही नाही वो हो तुम जिसमे
मुश्किल है मंज़िल अगर तो और लगन से उसके लिए मेहनत करो और उसे हासिल करके दिखाओ
क्युकी हो तो तुम भी किसी से कम नही।
By Awish Aggarwal
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