By Kapinjal Vishwakarma
अक्सर बे मान से ,
मन का हाल पूछ लेता हूं ।
कभी तू कुछ पूछ लेती है ,
कभी मैं कुछ जान लेता हूं ।
सच दोनों नहीं बोलते ,
मैं बात को घुमा देता हूं ।
तू जिद भी तो नहीं करेगी ,
यह मैं जान लेता हूं ।
फिर तू जाने की जिद करती है,
फिर मैं हाथों को थाम लेता हूं ।
तू मुड़ के कुछ पूछती भी नहीं ,
फिर तेरा हाथ छोड़ के अपने दिल को थाम लेता हूं ।
अक्सर बे मान से ,
मन का हाल पूछ लेता हूं ।
कभी तू कुछ पूछ लेती है ,
कभी मैं कुछ जान लेता हूं ।
By Kapinjal Vishwakarma
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