By Kamlesh Sanjida
गुस्सा करता हूँ तो,
ख़ामोशी से सिमट जातीं हैं
प्यार करता हूँ तो ,
बाँहों में लिपट जातीं हैं I
बेटियाँ हैं तो देखकर ही ,
वो समझ जातीं हैं
पूरे घर का ख्याल,
कितनीं शिद्दत से करतीं हैं I
मासूमियत भरी नज़रें,
अपनों के लिए वो रखतीं हैं
और अपनीं पर आ जाएँ तो,
झाँसी की रानी बन जातीं हैं I
अपने छोटे बड़ों का ख़याल,
वो खूब करतीं हैं
एक अजब सा सुकून ,
दिल को दे ही जातीं हैं I
फिर भी बेटियाँ दूसरों की,
मेहमान समझी जातीं हैं
और अपने ही घर में,
बेगानी सी समझी जातीं हैं I
जब तक वो रहतीं हैं,
आँगन की खुशियाँ बनीं रहतीं हैं
रिश्तों में दिलों की दूरियों को,
हर दम मिटाया करतीं हैं I
घर छोटा हो या बड़ा ,
सब निभा लेतीं हैं
सबके दिए दर्दों को भी,
बेहिसाब सह लेतीं हैं I
By Kamlesh Sanjida
Awesome...👍👏👏👏
Very good
Awesome!
betiyon ki desh stathi
दिल को छू गई कविता वास्तविकता रख दीदिल को छू गई कविता वास्तविकता रख दीDDDDDDMMMM