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बेटियाँ

Updated: Mar 11

By Kamlesh Sanjida


गुस्सा करता हूँ तो,

ख़ामोशी से सिमट जातीं हैं

प्यार करता हूँ तो ,

बाँहों में लिपट जातीं हैं I

बेटियाँ हैं तो देखकर ही ,

वो समझ जातीं हैं

पूरे घर का ख्याल,

कितनीं शिद्दत से करतीं हैं I

मासूमियत भरी नज़रें,

अपनों के लिए वो रखतीं हैं

और अपनीं पर आ जाएँ तो,

झाँसी की रानी बन जातीं हैं I



अपने छोटे बड़ों का ख़याल,

वो खूब करतीं हैं

एक अजब सा सुकून ,

दिल को दे ही जातीं हैं I

फिर भी बेटियाँ दूसरों की,

मेहमान समझी जातीं हैं

और अपने ही घर में,

बेगानी सी समझी जातीं हैं I


जब तक वो रहतीं हैं,

आँगन की खुशियाँ बनीं रहतीं हैं

रिश्तों में दिलों की दूरियों को,

हर दम मिटाया करतीं हैं I

घर छोटा हो या बड़ा ,

सब निभा लेतीं हैं

सबके दिए दर्दों को भी,

बेहिसाब सह लेतीं हैं I


By Kamlesh Sanjida



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12 Comments

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Asha Gautam
Asha Gautam
Sep 14, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Awesome...👍👏👏👏

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SONIA singh
SONIA singh
Sep 13, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Very good

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Rajneesh Shakya
Rajneesh Shakya
Sep 13, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Awesome!

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kamlesh Kumar Gautam
kamlesh Kumar Gautam
Sep 13, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

betiyon ki desh stathi

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Beena Gautam
Beena Gautam
Sep 13, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

दिल को छू गई कविता वास्तविकता रख दीदिल को छू गई कविता वास्तविकता रख दीDDDDDDMMMM

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