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बातें

Updated: Feb 3

By Garvita Singh


चल कुछ बातें करते हैं

किस किस्म के डर तुझे डराते हैं

क्या है जिससे मेरे पैर कांपा करते हैं

कितनी उम्मीदें टूटी तेरी हैं कभी

कौनसे बेस्वाद लम्हे मुझे दुखाया करते हैं


कितने ही ख्वाब तेरे दरमिया रहते हैं

कितने ही ख्वाब मुझे जगाया करते हैं

आंखें मूंदकर कालिख में तुझे दिखता है क्या

और कैसे वो रंग जो मुझे दिखाई पड़ते हैं



कितनी दफा तू छिपकर रोता भी है

आखिर कब कब मेरे भी आंसू गिरते हैं

होठों पर ये अनोखी मुस्कान जो है

इसके पीछे की खामोशी को बेपर्दा करते हैं


क्या है जो तुझे सुकून देता है

क्या है जिससे मुझे सुकून मिल पाता है

किन बातों पर तू सचमें हंसता है

कौनसे लतीफे मुझे हंसाया करते हैं


ज़रा छोड़कर ज़रूरी जिस्मानी बातें

चल साथ में एक मिसाल गढ़ते हैं

बातों से यादें और यादों से वादों तक

आज रूहानी पन्नो पर एहसास लिखते हैं


चल ना, कुछ बातें करते हैं


By Garvita Singh




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6 Comments

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Abhinav Singh
Abhinav Singh
Jan 10
Rated 5 out of 5 stars.
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Abhinav Singh
Abhinav Singh
Jan 10
Rated 5 out of 5 stars.

बहुत सुन्दर!

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Abhinav Singh
Abhinav Singh
Jan 10
Rated 5 out of 5 stars.

👍

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Durgesh Laxman
Durgesh Laxman
Jan 10
Rated 5 out of 5 stars.

Nice👍👏

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Abhijit Ambadkar
Abhijit Ambadkar
Jan 10
Rated 5 out of 5 stars.


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