By Srishti Gupta
कुछ तुम बदल गए हो,
कुछ हम बदल गए है
जो मंजिले है बदली
रास्ते बदल गए है।
कुछ वक्त ने की साज़िशे
कुछ हम समझ न पाएं
कुछ तुम सिसक गए थे।
कुछ बूंदें पड़ी हैं तुमपे,
तपिश सूरज की मुझपे,
हम दोनों के फ़िर से
आसमां बदल गये है।
जो मंजिले हैं बदली
रास्ते बदल गये है।
तुम जो थे पहले ,
और अब जो हो गए हो
मैं - तुम जो कभी ‘हम’ थे
अब वो ‘हम' खो गए है
कुछ तुम बदल गए हो,
कुछ हम बदल गए है।
By Srishti Gupta
👌
👌
🤩