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बचपन के वो खेल...

By Ritika Singh


खुशनुमा था मौसम, बादल थे छाए,

सोचा ठंडी हवा में थोड़ी सैर की जाए,

निकल गए घर से हाथ में लेकर के छाता,

ये कहकर कि बस अभी हूं आता,


पास ही पार्क में बन रही थी रेल,

छोटे बच्चों का ये प्यारा सा खेल,

ताज़ा हो गईं कुछ मीठी यादें,

बचपन के खेलों की अनूठी बातें...


अंताक्षरी आई सबसे पहले याद,

हर महफिल में जिसका छिड़ता था राग,

पतंगों के थे जमकर पेंच लड़ाए,

आज ये हुनर पिछड़ता जाए,


इकड़ी-दुकड़ी और छुपन-छुपाई,

कई शाम इनके साथ बिताईं,

कोई बनता चोर तो कोई सिपाही,

गलियों में खूब खेली पकड़म-पकड़ाई,



विष-अमृत कहो या कहो बर्फ-पानी,

अलग सी ही थी इस खेल की कहानी,

रस्साकशी में जब-जब लगता था ज़ोर,

अच्छे-अच्छे मांग जाया करते थे पानी,


कभी गिल्ली-डंडा, कभी कंचा-गोली

अक्सर खेला करती थी लड़कों की टोली,

जब कभी ​शुरू होती आंख मिचौली,

पास होते हुए भी दे जाते थे गोली,


कैरम ​की भी याद हो आई कहानी,

जिसमें सब पाना चाहे हैं रानी,

लेकिन गर कवर रह जाए जो पीछे,

धरी की धरी रह जाए सारी कारस्तानी,


चिड़िया उड़ का जब-जब चलता था खेल,

उड़ जाती थी भैंस, उड़ जाती थी रेल,

सांप-सीढ़ी में जीत होती एकदम करीब,

तभी आख़िरी सांप कर देता था फेल,


हो लंगड़ी टांग या फिर खो-खो, कबड्डी,

ध्यान रखते थे टूट न जाए कोई हड्डी,

जब एक से शुरू होकर बनती थी चेन,

अव्वल होता वो, जो रह जाता फिसड्डी,


गुट्टे, पोशंपा, लूडो और पिट्ठू,

हर घर एक खिलाड़ी चाहे मिट्ठू या बिट्टू,

रूमाल छू की जब छिड़ती थी बाज़ी,

न जाने कहां वक्त हो जाता उड़नछू,


अतीत में अपने खोए हुए थे,

जागकर भी जैसे सोए हुए थे,

तभी तेज़ हवा ने हमें झकझोरा,

कल से आज में फिर ला छोड़ा,

पीछे छूट गईं उन दिनों की यादें,

बचपन के खेलों की अनूठी बातें...


By Ritika Singh




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Jeevan Deep Vishwakarma
Jeevan Deep Vishwakarma
18 thg 5, 2023
Đã xếp hạng 5/5 sao.

बचपन याद आ गया

Thích

vikas sharma
vikas sharma
16 thg 5, 2023
Đã xếp hạng 5/5 sao.

बचपन 😍

Thích

Abhishek Verma
Abhishek Verma
16 thg 5, 2023
Đã xếp hạng 5/5 sao.

Nice!!

Thích

anuj maurya
anuj maurya
15 thg 5, 2023
Đã xếp hạng 5/5 sao.

बचपन याद दिला दिया...

Thích

saurabh verma
saurabh verma
15 thg 5, 2023

क्या बात है?

Thích
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