प्रियशी
- Hashtag Kalakar
- Aug 7
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By Sarsij Mishra
नयनो में हो प्रेम भरा
अधरो में मुश्कान हो,
शीतल पूश की रात को
प्रियाशी मेरे साथ हो।
काजल से काले मेघो में
विद्युत सी दृष्टि कमाल हो,
सोम भरी आँखो में उनके
प्रीतम जी की आश हो।
कुंडल, नथुनी, गजरा, टिकली
प्रकाशित चाँदानी रात हो,
हाथ की कोमलता पर तो
कोटि कमल भी निराश हो।
अधरों में नाम प्रियतम का और
बिछुआ भी घुंघरूदार हो,
करधन पायल गूंज रई
कदमो में अलता लाल हो।
वाणी मधुर मनमोहक
गीत गान संस्कार हो,
हो प्रियाशि गुणवति पुण्यात्मा
हरि चरित का जिनको ज्ञान हो।
नयनो में हो प्रेम भरा
अधरो में मुश्कान हो,
शीतल पूश की रात को
प्रियाशी मेरे साथ हो।
By Sarsij Mishra

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