By Abhishek Sharma
जैसा था बिलकुल वैसा ही हूँ
वही हाल अब तक बचा कर रखा है
पूछा बहुतों ने मगर बताया नहीं
सबसे ये हाल छुपाकर रखा है
तुमको कभी बदला हुआ ना लगे,
लहजा वो पुराना अब तक बरकरार रखा हैं
केवल तुम्हें या फिर मुझे पता है
कहा वो कमल खिला रखा है
इतने दिनों से मिले नहीं हो तुम, तुमसे बहुत बतियाना है
मेरी बातों और मेरे शब्दों का खजाना सहेज कर रखा है
दुनियादारी के बाज़ार में खर्च हुआ हूँ थोड़ा,
बाकी तुम्हारे लिए खुद को पूरा बचा कर रखा है !
By Abhishek Sharma
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