By Abhishek Sharma
परीक्षा तुम्हारी, ओर टेंशन हमें हो जाती हैं,,
पढ़ते तुम नहीं, सांसें हमारी थम जाती हैं,,
हमारे पास कीपैड ही सही, पर तुमको नेट की सुविधा दी जाती हैं,,
हम गर्मी में ठीक है, पर तुम्हारे कमरे में A.C. लगाई जाती हैं,,
हमारी जरूरतों को मारकर, फरमाइश तुम्हारी पूरी की जाती हैं,,
हम भूखे रहकर भी पैदल घर आते है, बस नहीं लेते कभी पैसे बचाते है,पर तुमको नास्ते के साथ गाड़ी दी
जाती हैं,
जब सब कुछ देने के बाद भी तुम नहीं समझते, तुम नहीं पढ़ते, तो गुस्सा आता है अकेले में आँखें नम हो
जाती हैं,,
डरते है हम आखिर क्या कहें, कैसे जाहिर करें,कुछ कह दे आज के बच्चों को तो काम गलत या उनसे गुस्से
में सुसाइड की जाती हैं,,
और उनकी सुसाइड केवल उनकी ही नहीं, माँ-बाप की भी जिंदगी नष्ट कर जाती हैं,,
हमारा दुःख, हमारी तकलीफ, परिस्थितियां हमारी कैसे समझाए, क्या करें आखिर तुम ही बताओ, तुम्हारी
जेनरेशन को कैसे समझ आती हैं।
By Abhishek Sharma
One of the best poem I read ,, jo likha h voh Aaj ke samay ka actual dard h, padh ke imotional toh hua hi par utna garvit bhi hua ki koi toh h jo likh rha h or samajha rha dard logo ,, best of luck broo.