By Dr. Swati Priya
नुपुर नीलमोहर
मनोरम मनोहर नयनों को भाते नुपुर नीलमोहर
खड़े थे वहीं हम शाख़ों के नीचे तुम्हें देखती मैं मुड़े थे तुम पीछे
मेरे संग बहाता और कौन आँसू नुपुर नीलमोहर
वह नीली सी बारिश
वह बूँदों से फूल हमारे बालों से
जाते जो झूल खड़े थे हम जिसपर
पंखुड़ियों का समंदर
नुपुर नीलमोहर
वह जगह छूटी
छूटा वह पेड़
छोड़ गया लेकिन
यादों का ढेर
अब रोती हूँ अकेली
जाते हो जब तुम मेरे नुपुर नीलमोहर
By Dr. Swati Priya
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