नाम पट्टी
- hashtagkalakar
- Sep 8, 2023
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By Deepshikha
पिछली दफा जाने से पहले, तुम थमा गए मुझे कुछ यादें, कुछ ख्वाब और एक नाम पट्टी,
मेरा और तुम्हारा नाम लिखा था जिसपर, मैंने ही।
सहेज कर रख लिया था मैंने उसे, इस यकीन से कि अगली बार जब तुम आओगे तो तुम मेरा वो घर भी ले आओगे, जिसके सामने वाले दरवाज़े पर फ्रेम करवा कर लगवाऊंगी मैं वो नाम पट्टी,
मैंने सहेज लिए थे कुछ बीज भी, जिनके पौधे हमें साथ में उगाने थे उस घर की बल्कॉनी में।
और मैंने बनानी शुरू कर दी थी तस्वीरें, अलग अलग भ्रांति की, उस घर की दीवारों पर सजाने के लिए,
मैंने सोच लिए थे दीवारों के रंग, कमरों के नाम, कुर्सियां, मेज़, पर्दे, सजावट सब,
और मैंने मन ही मन बुन लिए थे ख्वाब, उस ज़िन्दगी के जो साथ में हम गुजारते वहां।
मगर...
अब समझ पाती हूं कि,
उस रोज़ तुम वो सब चीज़ें सहेजने के लिए सौंप कर नहीं गए थे, उस रोज़ तुम वो मोहबब्त की सारी अधूरी निशानियां मुझे लौटा कर गए थे।
शायद बहुत ही सुलझी हुए किसी चाल की तामील करते,
सारे खत लौटा गए थे,
सब एहसास लौटा गए थे,
वो नाम पट्टी लौटा गए थे,
और बदले में ले गए थे,
मेरा ठौर, मेरा घर...
ताकि मेरे पास लौटने की कोई वजह ना रहे...
By Deepshikha