देखना हैं दोनों मौसम
- hashtagkalakar
- Nov 21, 2024
- 1 min read
By Vikas Hirwani
मुखड़ा
जीवन के चेहरे की दो आँखें
एक में खुशियां एक में ग़म
इस शर्त पे खुदा ने दीं नज़रें
देखना हैं दोनों मौसम
अंतरा - 1
जीवन के सफ़र में लोग मिलें
टकराएं वो आते जाते
कुछ आँखों तक ही करते सफ़र
कुछ सीधे दिल में उतर आते
राहत सी मिलने लगती है
कुछ लोग यहाँ होते मरहम
इस शर्त पे खुदा ने दीं नज़रें
देखना हैं दोनों मौसम
अंतरा - 2
आता लम्हा इक ही पल में
पलक झपकते मर जाये
हाथ में कुछ बचता ही नहीं
रह जाते यादों के साये
यादों में ही हम जीते हैं
यादों में ही मर जाते हम
इस शर्त पे खुदा ने दीं नज़रें
देखना हैं दोनों मौसम
जीवन के चेहरे की दो आँखें
एक में खुशियां एक में ग़म
इस शर्त पे खुदा ने दीं नज़रें
देखना हैं दोनों मौसम
देखना हैं दोनों मौसम
देखना हैं दोनों मौसम
By Vikas Hirwani