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तुम्हें ऑफिस के लिए देर ना हो जाए

By Jaya Bhardwaj


तुम यूं देर रात तक जागकर मेरे चेहरे को क्यों देखते हो, ये सवाल कई बार मैंने तुमसे पूछा है पर तुमने कभी जवाब नहीं दिया।आज तुम्हें देना पड़ेगा, बताओ तुम ऐसा क्यों करते हो मैंने पूछा। तो उसने कहा कि मैं तुम्हें अगर बता दूंगा तो तुम शायद मुझसे पहले नहीं सोने जाओगी। फिर मुझे तुम्हारे सोने का देर रात इंतजार करना पड़ेगा।

फिर मैं सुबह ऑफिस को लेट हो जाऊंगा और फिर बॉस की डांट। 

अच्छा बस-बस, बहुत घुमा लिया तुमने। अब सीधे-2 जवाब दो, वरना मैं जा रही बाहर वाले कमरे में सोने। तुम जानते हो मैं जल्दी सो जाऊंगी इसी बात का फायदा उठाते हो।

तो उसने बताना शुरू किया मेरे बहुत कहने के बाद कि कहां से शुरू करूं, तब से कि जब से तुम्हें पहली बार देखा था या फिर तब से जब से तुम्हें क़रीब से देखा है। मुझे तुम बेहद पसंद हो, हर दिन की सुबह की उजली किरण के साथ तुम्हारी मुस्कान मानो मेरी सारी थकन मिटा देती है। यूं कभी ना रुकने वाली तुम्हारी बातें मुझे कभी अकेलापन महसूस ही नहीं होने देती और खास बात ये है कि मुझे तुम हर बार पसंद आती हो। वही नजाक़त, वही चंचलता, वही बचपना, वही ज़िद, वही बेपरवाही मग़र ये सब अपने लिए। 

बाकी सब के लिए एक दम सख़्त,किफ़ायती, परवाह करने वाली, सुख में दुख में साथ देने वाली, इतनी सारी भावनाएं तुम कैसे संभाल लेती हो। तुम भी इंसान ही हो या कोई अप्सरा हो। जो आसमान से सिर्फ़ मेरा घर स्वर्ग बनाने के लिए उतारी गई हो।

इतना क़ाफी है मेरे ख़्याल से तुम्हारे उस "क्यों" के जवाब के लिए है ना।

बिल्कुल नहीं, आज तुम्हें भी पहली बार इतना खुलकर बोलते देख रही हूँ बहुत अच्छा लग रहा है। मैं तुम्हें और सुनना चाहती हूं।अच्छा चलो ये सब छोड़ो मुझे पता चला था मम्मी से तुम गाना भी बहुत अच्छा गाते हो, सुनाओ ना।

आह, तुम पागल हो गई हो रात बहुत हो गई है चलो अब सो जाओ। मुझे सुबह ऑफिस भी जाना है या तुमको भी बहुत काम है। मैं तो चला सोने।

अजी रहने दो मुझे सब पता है तुम मुझसे पहले तो नहीं सोने वाले, ठीक है अब मुझे सोना ही पड़ेगा। जिससे तुम्हें ऑफिस के लिए देर ना हो जाए।


By Jaya Bhardwaj

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