By Dr. P. L. Bharati
मेरी भी तमन्नाओं में एक जान आ जाता,
कुछ नया आजमाना भी आसान हो जाता ।
उम्मीदों के सपने भी साकार हो जाता,
जब मेरे भी सर में तुम्हारा हाथ हो जाता ।
मेरी भी तमन्नाओं............
अनाथ बच्चो में भी उम्मीदे कम नही होती,
मां-बाप का साया भले ही नही होती ।
ऊपर से लाचारी का दानव नही छोडती,
लेकिन मन का विश्वास भी कम नही दौडती ।
अपनापन दिखा देते तो चाहत को मै पा जाता,
मेरी भी तमन्नाओं...........
बचपन के कच्चे मन में उम्मीदों की बोझ न डालो,
भौतिक सुख दिखाकर उनमे लालच की बुनियाद न पालो ।
ऊच-नीच के भेदभाव से नफरत की दीवार बनेगा,
फल तो आखिर वही मिलेगा जैसा वो बीज बोयेगा ।
भरोसा भी मुझ पर कर लेते तो मंजिल मै भी पा जाता,
मेरी भी तमन्नाओं..........
नारी की व्यथा भी कुछ कम नही होती,
सामाजिक दायरा भी सम नही होती ।
ऊपर से दहेज का दानव और बेटी के अत्याचारी,
सहना भी पडता है उनको मुफलिसी और लाचारी ।
सच्ची पाठ पढा देते तो मर्यादित मै हो जाता,
मेरी भी तमन्नाओं.........
बहु आयामी आभा से जब दमक उठेगा अंतर्मन,
क्या अपना और कौन पराया सेवा होगा तन मन धन ।
भेद भाव सब मिट जायेगा होगा नारी का सम्मान,
ना दुश्मनी और गरीबी तभी बनेगा देश महान ।
प्रेम का दीप जला देते तो सूरज सा मै बन जाता,
मेरी भी तमन्नाओं.........
By Dr. P. L. Bharati
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