By Pragya Jha
बहुत सी चीखें दबी है इन् मै ,
बहुत आँसू समेटे हुए है या ,
कई जागी रातें हैं इन् मे,
कई दिन का खौफ है समेटे ये,
कुछ सपने हैं रात के इसमें,
कुछ दर्द भी समेटे हुआ है ये,
किसी दिन की मुस्कान
तो किसी शाम की थकान है इसमें
मां, बस जब जाउ मैं इस घर से,
ये तकिया मुझे दे देना।
इस में बहुत सारी छुपी हुई मैं हूं।
By Pragya Jha
¹nicely written
Beautifully written
Excellent
Excellent!
Excellent imagination and expression in few lines. Best wishes !