By Nandan Kumar
कांधे पे जिसके हम सर रख के रो सके,
गोदी में जिसके हम निश्चिन्त से सो सके
आँखों में जिसके सारी इज्जत सिमट सके
होठों से जिसके मीठा रस पिघल सके
जैसे उसको पा के हम खुद को खो सके
झगड़ा तो हो पर जिससे प्यार उमड़ सके
बर्तन हम धो देंगे,खाना वो पका सके
सोशल मीडिया छोड़ वो ईमेल पे आ सके
फ्लैट हम खरीदें जिसको वो घर बना सके
जैसे उसको पा के हम खुद को खो सके
रूठ जाए हम तो वो प्यार से मना सके
ख़्वाबों में उसस्के हम सपने सजा सके
पलकों पे जिसके हम तारे बिछा सके
चेहरे पे जिसके हम सबकुछ लुटा सके
जैसे उसको पा के हम खुद को खो सके
By Nandan Kumar
👌👌
Sundar♥️♥️♥️
👏👏
लाजवाब