By Gaurav Abrol
कभी सहज कभी सरल , कभी जटिल और विरल सफ़र फर्श से अर्श का , तो कभी अर्श से फर्श का ज़िन्दगी नाम है दूजा इक अनकहे संघर्ष का l ज़िन्दगी नाम है दूजा इक अनकहे संघर्ष का ll
अनसुलझे सवाल और कभी बिखरे हुए बाल सतत सताता भविष्य रूपी प्रश्नचिन्ह विशाल चेहरे की झूर्रियों , माथे पर बिखरी लकीरों के बीच हल्के से हँसाता हर इक पल वो हर्ष का ज़िन्दगी नाम है दूजा इक अनकहे संघर्ष का l ज़िन्दगी नाम है दूजा , इक अनकहे संघर्ष का ll
अर्जियों का कभी यूँ ही नामंज़ूर होना कभी ईरादों से अपने खुद-ब -खुद दूर होना चिंता की चिता में कभी हँसते हुए झुलसना और गलतियों पर ज़माने के तंज कसना बदलाव की उठा-पटक से सिमटते विचार और विमर्श का ज़िन्दगी नाम है दूजा इक अनकहे संघर्ष का l ज़िन्दगी नाम है दूजा , इक अनकहे संघर्ष का ll
मुट्ठी थी बंद फिर भी, रेत सा वक़्त का फिसल जाना नाकामयाबी पर आँख मिलाकर, बदकिस्मती का मुस्कुराना खत्म कहानी की शुरुआत से निरर्थक हुए निष्कर्श का ज़िन्दगी नाम है दूजा इक अनकहे संघर्ष का l ज़िन्दगी नाम है दूजा , इक अनकहे संघर्ष का ll
बस अभी सूखे ज़ख्मो को कुरेदते उन्ही जज़्बातों का इंसानी हदों को चुनौती देते उन कसूरवार हालातों का चुभते नासूरों पर मरहम किसी मार्मिक स्पर्श का
ज़िन्दगी नाम है दूजा , इक अनकहे संघर्ष का l
By Gaurav Abrol
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