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जिंदगी ने अपना नकाब हटाया है ||

By Sanad Jhariya


आज फिर कुदरत ने अपना करिश्मा दिखाया है ||

तेज बारिशें झेलके के भी एक खेत लहराया है ||


उफंती नदी का बहाव भी शर्मसार हो आया है ||

जब चंद पैसों के लिए गोताखोर ने उसमें गोता लगाया है ||


गरीबी ने लोगो को ये मंजर दिखाया है ||

एक बच्चा नंगे पैर खिलौने बेचने आया है ||



कुछ इस तरह आत्मा ने शरीर से अपना बोझ हटाया है ||

जीते जी इंसान डूब गया, मरने पर ऊपर तैर के आया है ||


यूंही नहीं अँधेरे ने हमेशा सभी को खौफ में लाया है ||

ग्रहण को शाम समझकर एक परिंदा घोंसले में लौट के आया है ||


हर वो इंसान के चेहरे का रंग फीका पड़ आया है ||

जिसके सामने जिंदगी ने अपना नकाब हटाया है ||


By Sanad Jhariya




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