जय महाकाल
- Hashtag Kalakar
- Jan 13
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Updated: Sep 16
By Naveen Kumar
काल चक्र को जो काट दें, मृत्यु को को मात दें
रुद्र है स्वरूप जिनका, भीम है रूप उनका
नाग है विराजते कि डमरू बजाते
सृष्टि को संहारते कि तांडव दिखाते
कुछ नहीं में भी है और अनंत में भी है
पशुओं के देव है कि देवों के प्रिय हैं,
अमृत है त्यागते कि विष को स्वीकारते
काम को है मरते कि ध्यान को है बांटते
आधा शरीर उनका आधा है पार्वती
एक ही शरीर में वो दोनों रूप विराजते,
सुंदर शरीर उनका, काल भी है रूप उनका
योग के है देवता कि पर्वतों के स्वामी हैं
यज्ञ के वो मंत्र है, करुणा की खान हैं
ब्रह्मा स्वरूप है वो विष्णु के भी रूप हैं
जन्मे नहीं वो अज के रूप में
और हैं
सद्गुण के रूप में, जगतगुरू के रूप में
हर नर के रूप में, हर कण में रूप में
सृष्टि को बनाते है, सृष्टि को चलाते हैं
सृष्टि का विनाश कर के, काल चक्र चलते हैं……
जय महाकाल
By Naveen Kumar

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